बुधवार, 7 नवंबर 2012


धर्मनिरपेक्षता का कोई विकल्प नहीं -विभूतिनारायण राय

हिंदी के सुपरिचित उपन्यासकार तथा महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति विभूतिनारायण राय ने कहा है कि धर्मनिरपेक्षता का कोई विकल्प नहीं है।श्री राय आज विश्वविद्यालय के कोलकाता केंद्र में बुद्धिजीवियों के पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दे रहे थे। इस संवाद में प्रो. अमरनाथ, डा. जरीना जर्री, प्रसून भौमिक, विश्वंभर नेवर, हरिराम पांडेय, मृत्युंजय कुमार सिंह, प्रियंकर पालिवाल, प्रो. जेके भारती, प्रो. सुनीता मंडल, सुभाष मंडल और मनीषा यादव ने श्री राय से प्रश्न पूछे। श्री राय ने कहा कि बिना धर्मनिरपेक्ष हुए हम आधुनिक नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि अधिकतर मुसलमान यदि भारतीय राज्य और पुलिस के प्रति अविश्वास रखता है तो उसके वैध कारण हैं। विश्वास तभी जन्मेगा जब भारतीय राज्य अपने आचरण में सुधार करेगा।
उन्होंने कहा कि यह धारणा गलत है कि  अधिकतर मुसलमान स्वभावतः क्रूर होते हैं। आजादी के बाद जितने दंगे हुए, उसमें मुसलमान ही ज्यादा मरे। उन्होंने अपनी नई किताब हाशिमपुरा, अपने शोध प्रबंध दंगे और भारतीय पुलिस और उपन्यास शहर में कर्फ्यू से संबंधित सवालों के जवाब भी खुलकर दिए।श्री राय ने कहा कि सांप्रदायिकता कोई हल नहीं। संवाद कार्यक्रम की शुरुआत कवि-गायक मृत्युंजय कुमार सिंह के काव्य संगीत से हुई। कार्यक्रम का संचालन कोलकाता केंद्र के प्रभारी डा. कृपाशंकर चौबे ने किया।
संवाद सत्र के बाद दूसरे सत्र में सुनील गंगोपाध्याय का स्मरण किया गया। इस सत्र को सुशील कांति, प्रियंकर पालिवाल, प्रसून भौमिक और अमरनाथ ने संबोधित किय। अध्यक्षता कुलपति विभूति नारायण राय ने की। सुशील कांति ने सुनील दा की कविताओं की आवृत्ति की। उन्होंने काव्य संगीत भी पेश किया।

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