प्रो.नामवर सिंह ने
किया राहुल सांकृत्यायन सृजन पीठ में पुस्तकालय भवन का शिलान्यास
‘राहुल सांकृत्यायन
एवं आज का समय’ पर विद्वानों ने किया विमर्श
साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था ‘राहुल सांकृत्यायन
सृजन पीठ’, मऊ के
तत्वावधान में चन्द्रापुरम् कालोनी, भुजौटी सिविल लाइन्स, मऊ के परिसर में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र)
के कुलाधिपति एवं हिंदी साहित्य के शीर्ष आलोचक प्रो. नामवर सिंह द्वारा
पुस्तकालय भवन का शिलान्यास किया गया।
उदघाटन समारोह में
अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए प्रो.नामवर सिंह ने कहा कि- एक प्रचलित मुहावरा है, ‘‘घर का जोगी जोगड़ा, आन गाँव का सिद्ध’’। अर्थात् राहुल जी
का महिमामंडन बाहर तो बहुत हुआ, परंतु अपने घर में जिस तरह से उन्हें प्रतिष्ठित होना चाहिए
था, वह नहीं हो
सके। आज का आयोजन यह सिद्ध करता है कि उन्हें उनके घर में महत्वपूर्ण ढंग से पहली
बार याद किया जा रहा है। इसके लिये राहुल सांकृत्यायन सृजन पीठ बधाई के पात्र हैं।
यह बड़ा काम किया जा रहा है। अकेले के वश का नहीं है। इसमें सभी लोगों को हाथ लगाना
होगा, आम जनता को
आगे आना होगा।
राहुल सांकृत्यायन
की स्मृतियों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि, राहुल जी ‘महापण्डित’ शब्द को पसंद नहीं करते थे, क्योंकि वे जानते
थे कि काशी की परंपरा में यह शब्द मूर्ख का पर्याय होता है। राहुल मूलतः लोक के
दूत थे। उन्हें भोजपुरी और लोक भाषाओं से लगाव था। वे दुनिया की 36 भाषाओं के जानकार
थे। वे लोकभाषा व बोलियों की स्वतंत्रता के पक्ष में थे। भोजपुरी बिरहा गायक
बिसराम और बुंदेली के इसुरी पर लिखकर उन्होंने साबित किया कि उनके भीतर एक विराट
लोकमन जीवित है। इस प्रकार अनेकानेक प्रसंगों को उद्धृत करते हुए नामवर सिंह ने
राहुल सांकृत्यायन के निजी जीवन से लेकर यात्रा-प्रसंगों, राजनीतिक-दृष्टि से
लेकर लोक-पीड़ा व साहित्य-समझ से लेकर सांस्कृतिक विस्तार तक पर व्यापक वक्तव्य
दिया।
बतौर मुख्य अतिथि
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय ने कहा कि ‘आज वर्ण-व्यवस्था
की जकड़ जो ढीली हो रही है। इसके मूल में राहुल जी की तत्कालीन पहल रही है। आज के
समय में राहुल जी के कार्यों और विचारों की प्रासंगिकता है तथा प्रत्येक काल खण्ड
में यह प्रासंगिकता बनी रहेगी। उनके विचार सर्वदेशिक व सर्वकालिक है। राहुल जी के
कार्यों को आगे बढ़ाया जाना बेहद जरूरी है। उन्होंने जिस बेहतर दुनिया, बेहतर समाज और
बेहतर मनुष्य का सपना देखा था। उस सपने को सार्थक करने की दिशा में ‘राहुल सांकृत्यायन
सृजन पीठ-मऊ’ ये यह
भरोसा दिलाया है कि राहुल जी के सपने को सार्थक करने में सह संस्था अपने दृढ़
संकल्प के साथ निरंतर प्रयत्नशील रहेगी। इस प्रयत्न और प्रयास में रामानन्द
सरस्वती पुस्तकालय, जोकहरा-आजमगढ़
का सहयोग निरंतर बना रहेगा।
विशिष्ट अतिथि के
रूप में आलोचक निर्मला जैन ने कहा कि समाज, साहित्य व संस्कृति की बेहतरी के लिए राहुल जी द्वारा
किए गए कार्यों में उनका वैशिष्ट्य दिखाई देता है। महाचेता राहुल जी की घुमक्कड़ी
वृत्ति में उन्हें दुनिया की अनेक भाषाओं, बोलियों, संस्कृतियों और समाज को नजदीक से देखने का मौका दिया। इस
मौके ने राहुल जी के व्यक्तित्व को रूपांतरित करने का कार्य किया है। अनेक देशों
से दुर्लभ पाण्डुलिपियों और ज्ञान-संपदा को भारत ले आने का राहुल जी का काम उनकी
क्षमता को दर्शाता है। ऐसे महाचेता, महापंडित राहुल जी के काम को आगे बढ़ाने का संकल्प ‘राहुल सांकृत्यायन
सृजन पीठ’ व धूमकेतु
जी को बड़ा साबित करता है।
प्रो.चौथी राम यादव ने
राहुल जी के व्यापक व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए उनके भाषा-ज्ञान, दुर्गम यात्राएं व
यायावर जीवन के कठिन-सरल रोचक व सारगर्भित प्रसंगों को याद किया। उन्होंने राहुल
जी के भोजपुरी-ज्ञान व दृष्टि की चर्चा करते हुए नारी-दुर्दशा पर राहुल जी के
कारुणिक भोजपुरी गीत का हवाला देते हुए कहा कि तत्समय में समाज की नारी-दृष्टि
संकुचित थी। राहुल जी उस करुणा को भोजपुरी जैसी बोली में व्यक्त कर समाज के भीतर
मनुष्यता को जिन्दा करने की कोशिश कर रहे थे। संवेदना के ऐसे संकट पूर्ण दौर में
वे एक वंचित समाज की रचनात्मक लड़ाई को बड़े ही कारगर ढंग से लड़ रहे थे। ऐसे जुझारू
व्यक्तित्व के धनी राहुल जी की 50वीं पुण्यतिथि पर उनको इस तरह से याद करना, निश्चित रूप से
उनके काम की महत्ता को समझना है। ऐसी समझदारी के लिए ‘सृजनपीठ’ को साधुवाद।
साहित्यकार भारत
भारद्वाज ने राहुल जी पर गुणाकर मुले की दो कृतियों का उल्लेख करते हुए उन्हें
पढ़ने की अनिवार्यता पर बल दिया और कहा कि राहुल जी के विराट व्यक्तित्व व कृतित्व
को इतने कम समय के संवाद में समेटा नहीं जा सकता है। निरंतर चर्चा राहुल जी के
तमाम छुए, अनुछुए
पहलुओं को उद्घाटित करने का मौका देती है। हमें राहुल जी की कृतियों के पुनर्पाठ
की जरूरत है। राहुल जी पर चर्चाएं व शोध का सुयोग उपस्थित कराकर सृजन पीठ ने राहुल
की के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की है।
महापंडित राहुल
सांकृत्यायन की पुण्यतिथि के इस अवसर पर ‘राहुल सांकृत्यायन एवं आज का समय’ विषयक गोष्ठी का
संचालन शिव कुमार पराग ने किया तथा सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान
आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर प्रो.संतोष भदौरिया (इलाहाबाद), श्रीप्रकाश मिश्र
(इलाहाबाद), सुरेन्द्र
राही, हीरा लाल
(इलाहाबाद), प्रो. दिनेश कुशवाहा
(रीवां), डॉ. अदनान बिस्मिल्लाह
(नई दिल्ली), राकेश
श्रीमाल (वर्धा), उत्तर
प्रदेश प्रलेस के महासचिव डॉ. संजय श्रीवास्तव (वाराणसी), नरेन्द्र पुण्डरीक (बांदा) जैसे महत्वपूर्ण
बाहर से आये साहित्यकारों के अतिरिक्त स्थानीय साहित्यकार, पत्रकार, बुद्धिजीवी व समाज
सेवियों में प्रमुख रूप से- डॉ. ए. के. मिश्रा, संजय राय, उत्तम चन्द, श्याम बिहारी ‘श्यामल’, नागेन्द्र राय, हरिद्वार राय, डॉ. संजय राय, शतानन्द उपाध्याय, दयाशंकर तिवारी, गिरीशचन्द मासूम, अर्चना उपाध्याय, हरिशंकर यादव ‘अभय’, डॉ. वसीमुद्दीन जमाली, विष्णुलाल गुप्त, जितेन्द्र कुमार मालवीय, जितेन्द्र मिश्र ‘काका’, पुरूषार्थ सिंह, नरेन्द्र सिंह बागी, अरूण कुमार सिंह, मृत्युंजय तिवारी, स्वामीनाथ पाण्डेय, एस.पी.भारती, कु. शैलजा श्रीवास्तव, मदन सिंह, तैय्यब पालकी, डॉ. एस. एन. खत्री, डॉ. सरफराज, अरविन्द मूर्ति, का. ओमप्रकाश सिंह, बसन्त, का. विरेन्द्र कुमार, शमसुलहक चौधरी, फहीम खां, अजीम खां, ओमप्रकाश गुप्ता, देवेन्द्र मिश्र, का. रामऔतार सिंह, हरेराम सिंह, श्रीराम चौधरी, जलीस अहमद, शेषनाथ राय, प्रकाशचन्द सिंह, हिना देसाई, रामहर्ष मौर्य, पी.एन. सिंह, सत्यप्रकाश सिंह, हरिनारायण चौहान, रामनारायण सिंह, डॉ. रवीन्द्र यादव, डॉ. रामकृष्ण यादव, डॉ. श्रीप्रकाश सिंह, डॉ. डी. एन. सिंह, रमाशंकर सिंह, बी. डी. शुक्ला, रविभूषण पाठक, बृजराज सिंह, सिसौदिया, सुरेश पाण्डेय, कान्ती लाल शर्मा, मदनलाल श्रीवास्तव, सुशील कुमार
पाण्डेय, गोपाल शरण
पाण्डेय, राजेश्वरी राय, मीना राय, आशुतोष राय, कु. अर्पिता राय व
सारांश राघव की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।