शरयू फाल्के ने किया दादासाहब फाल्के को याद
विश्वविद्यालय में पांच दिवसीय फिल्म ऐप्रीसिएशन कोर्स का उदघाटन
महात्मा गांधी
अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के नाटयकला एवं फिल्म एवं फिल्म अध्ययन
विभाग द्वारा आयोजित पांच दिवसीय फिल्म ऐप्रीसिएशन कोर्स के उदघाटन समारोह में
बतौर मुख्य अतिथि भारतीय सिनेमा के जनक दादासाहब फाल्के की पौत्री शरयू फाल्के
ने दादासाहब को याद करते हुए उनके जीवन और फिल्म दुनिया में दिए उनके योगदान पर
प्रकाश डाला। वर्धा विश्वविद्यालय में 18 से 22 अप्रैल की अवधि में इस कोर्स का
संचालन किया जा रहा है जिसमें देशभर के 150 से भी अधिक फिल्म प्रेमी सहभागी हुए
हैं। उदघाटन समारोह में दादासाहब द्वारा बनायी गयी पहली मूक फिल्म राजा हरिश्चंद्र
और और कालिया मर्दन का प्रदर्शन किया गया। कोर्स का उदघाटन कुलपति विभूति नारायण
राय ने हबीब तनवीर सभागार में किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि फिल्म निदेशक असीम
सिन्हा, संस्कार देसाई, कुलसचिव डॉ. कैलाश
खामरे, अजित राय, नाट्यकला एवं फिल्म अध्ययन विभाग के अध्यक्ष प्रो.
सुरेश शर्मा मंचासीन थे।
दादासाहब फाल्के की
जीवनीकार शरयू फाल्के ने कहा कि दादासाहब ईश्वर, कला और देश पर बेहद प्यार करते थे। फिल्म के
प्रति वे बड़े उत्साहित रहते थे और वे फरफेक्शनिस्ट थे। मुंबई के जे.जे. स्कूल
ऑफ आर्ट में पढ़कर उन्होंने कला में महारत हासिल की और बाद में फोटोग्राफी का
कोर्स कर लिया। मुंबई में रहते हुए उन्होंने फिल्म एक छोटी फिल्म बनायी और वहीं
से भारतीय सिनेमा की शुरूआत का कारवां शुरू हुआ। उन्होंने 1913 में राजा हरिश्चंद्र
बनायी जिसके लिए उन्हें 25 हजार का खर्च आया और यह व्यय उनकी पत्नी सरस्वती के
गहने गिरवी रखकर किया गया था। इस फिल्म के लिए महिला की भूमिका अन्ना सालुंखे
नामक व्यक्ति निभाई थी। उनका फिल्म का सफर लगभग बीस साल तक चलता रहा।
इस अवसर जुबैदा के
सहायक दिग्दर्शक असीम सिन्हा, कोर्स के समायोजक अजित राय तथा संस्कार देसाई ने भी फिल्म के 100 साल
के सफर पर अपनी बात रखी। कुलपति विभूति नारायण राय ने अपने उदबोधन में कहा कि जीवन
और दुनिया को समझने के लिए फिल्म से बड़ा कोई माध्यम नहीं है। कोर्स के लिए
युवाओं के उत्साह को देखते हुए उन्होंने कहा कि आगे चलकर यह कोर्स लंबे समय के
लिए भी तैयार किया जाएगा। उदघाटन समारोह में देशभर से आए प्रतिभागी, अध्यापक, अधिकारी, शोधार्थी
एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
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