राष्ट्रीय सेवा योजना है व्यक्तित्व विकास का कार्यक्रम -डॉ. भाऊ दायदार
हिंदी विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना पर व्याख्यान
राष्ट्रीय सेवा योजना छात्रों में छुपी हुई
कलाओं को बाहर लाने का माध्यम है। व्यक्तित्व विकास के लिए चलाई जाने वाली यह
योजना छात्रों में आत्मविश्वास पैदा कर उसे समाज में रचनात्मक कार्य करने के
लिए प्रोत्साहित करती है। उक्त विचार राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज विश्वविद्यलाय,
नागपुर में राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉ. भाऊ दायदार ने रखे। वे महात्मा
गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में नवगठित राष्ट्रीय सेवा योजना पर
व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। हबीब तनवीर सभागार में बुधवार को
आयोजित समारोह की अध्यक्षता मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के अधिष्ठाता
व संचार एवं मीडिया अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो. अनिल कुमार राय अंकित ने की।
समारोह में वित्ताधिकारी संजय गवई, वर्धा जिला होमगार्ड के समादेशक प्रो. मोहन
गुजरकर, पिपरी (मेघे) ग्रामपंचायत के उपसरपंच सतीश ईखार, विश्वविद्यालय के नाटय
कला एवं फिल्म अध्ययन विभाग के डॉ. ओमप्रकाश भारती, राष्ट्रीय सेवा योजना विश्वविद्यालय
इकाई के संयोजक डॉ. सतीश पावडे मंचस्थ थे।
विदित
हो कि कुलपति विभूति नारायण राय एवं कुलसचिव डॉ. कैलाश खामरे के प्रयासों से विश्वविद्यालय
को राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई प्राप्त हुई है। डॉ. सतीश पावडे को इस इकाई के संयोजक
का कार्यभार सौंपा गया है। डॉ. दायदार ने ‘राष्ट्रीय सेवा योजना की प्रासंगिकता
एवं उपयोगिता’ पर अपने व्याख्यान में कुलपति राय एवं कुलसचिव डॉ. खामरे के प्रति
इकाई के लिए आभार जताते हुए कहा कि 24 सितंबर 1969 में राष्ट्रीय सेवा योजना की
स्थापना हुई है। वर्तमान में इसके 60 लाख से भी अधिक सदस्य कार्यरत हैं। विश्वविद्यालय
को मिली इकाई के साथ राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई की संख्या अब 181 हुई हैं।
अपने 25 वर्ष के इस योजना से जुड़े अनुभवों को साझा करते हुए डॉ. दायदार ने कहा कि
आज की शिक्षा व्यवस्था में चार दिवारी के भीतर मन को संस्कारित नहीं किया जा
सकता, वह काम राष्ट्रीय सेवा योजना करती है। छात्रों में प्रोत्साहन भरना और
उनके अंदर आदर्श को सृजित करना राष्ट्रीय सेवा योजना का अहम काम है। एन. एस. एस.
सामुदायिक कार्यकलापों के माध्यम से युवाओं को देशसेवा के प्रति प्रेरित करती है।
अध्यक्षीय
वक्तव्य में प्रो. अनिल कुमार राय ने एन. एस. एस. को आगे बढ़ने की प्रक्रिया
कहते हुए कहा कि इसके माध्यम से हम आसपास के गांवों को अपनाकर वहां पर सामाजिक विकास
की गतिविधियां चलायेंगे। हमें एन. एस. एस. के माध्यम से विसंगतियों को खत्म कर
छात्रों में सकारात्मक सोच पैदा करनी है। वित्ताधिकारी संजय गवई ने कहा कि व्यक्तित्व
विकास के लिए एन. एस. एस. में सहभागिता करना जरूरी है। उन्होंने छात्र जीवन में एन.
एस. एस. के कार्यकर्ता के रूप में की गयी सेवा का हवाला देते हुए कहा कि दूसरों की
सेवा करने का अवसर एन. एस. एस. देता है। प्रो. मोहन गुजरकर ने एन. एस. एस. के माध्यम
से किए जाने वाले कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि नागरी सुरक्षा अभियान आपदा
प्रबंधन जैसे सेवाभावी कार्यों में राष्ट्रीय सेवा योजना अहम योगदान देती है। डॉ.
ओमप्रकाश भारती ने कहा कि विश्ववि़द्यालय में इस इकाई की स्थापना कुलपति राय की
दूरदर्शिता और सह्रदयता का परिणाम है। सतीश ईखार ने अपने वक्तव्य में विश्वविद्यालय
को हर संभव सहायता का आश्वासन देते हुए कहा कि ग्रामपंचायत स्तर पर शिवीर लगाने
के लिए हम पूरी मदद करेंगे। प्रारंभ में नाटयकला एवं फिल्म अध्ययन की छात्रा रश्मी
पटेल व अभिषेक ने एन. एस. एस. गीत प्रस्तुत किया। मंचस्थ अतिथियों का स्वागत
शुभि दाधिच, श्रीधर पांडे, मोहित मिश्रा, चेतन भट्ट, विनायक जाधव व शिल्पा ने
विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित कैलेंडर देकर किया। कार्यक्रम की भूमिका विश्वविद्यालय
इकाई के संयोजक डॉ. सतीश पावडे ने किया तथा संचालन चैतन्य आठल्ये ने किया। धन्यवाद
ज्ञापन श्रीकृष्ण पांडे ने किया। कार्यक्रम की सफलता के लिए हिमांशु नारायण, प्रगति,
अशोक बैरागी, विवेक कुमार, सौरभ गुप्ता, बिपीन गौड, श्रीधर पाण्डेय, श्वेता क्षीरसागर,
प्रवीण चव्हाण, अक्षय कुमार, विकास चन्द्र, हेमा ठाकरे आदि ने सहयोग दिया।
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